फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
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जन्म: 4 मार्च 1921 पूर्णिया, बिहार।
निधन: 11 अप्रैल, 1977
प्रकाशित
कृतियाँ
कहानी
संग्रह: ठुमरी, अग्निख़ोर, आदिम रात्रि की महक, एक श्रावणी दोपहरी की धूप, अच्छे
आदमी।
उपन्यास: मैला आंचल, परती
परिकथा, कलंक-मुक्ति, जुलूस, कितने चौराहे, पल्टू बाबू रोड।
संस्मरण: ऋणजल-धनजल, वन तुलसी की गन्ध, श्रुत अश्रुत पूर्व।
रिपोर्ताज: नेपाली क्रांति कथा। कहानी ‘मारे गये गुलफाम’ पर
बहुचर्चित हिन्दी फिल्म ‘तीसरी कसम’ बनी जिसे अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए।
जीवनशैली: शोषण और दमन के विरूद्ध आजीवन संधर्षरत। राजनीति में सक्रिय भागीदारी। 1942 के स्वतंत्रता
आन्दोलन में सैनिक के रूप में भाग
लिया। 1950 में नेपाली दमनकारी रणसत्ता के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति के सूत्रधार। जे० पी० आन्दोलन में सक्रिय
भागीदारी और सत्ता द्वारा दमन के
विरोध में ‘पद्मश्री’ का त्याग। व्यक्ति और रचनाकार दोनों ही रूप में अप्रतिम। हिन्दी आंचलिक कथा लेखन में
सर्वश्रेष्ठ।
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