रविवार, 9 अक्तूबर 2016

रमेश उपाध्याय (प्रो.)


रमेश उपाध्याय (प्रो.)
साहित्यकार एवं चिंतक। कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, नुक्कड़-नाटक, निबंध, समीक्षा, संस्मरण, आत्मकथा, डायरी आदि समस्त साहित्यिक विधाओं में रचनारत संपूर्ण साहित्यकार तथा साहित्य, समाज, राजनीति, नैतिकता, कला आदि विषयों पर मौलिक चिंतन एवं लेखन। सन् 1960 के बाद की अथवा सातवें दशक की हिंदी कहानीके प्रमुख कहानीकार के रूप में उभरे रमेश उपाध्याय समांतर कहानीतथा जनवादी कहानीनामक आंदालनों के सूत्रधार तथा प्रमुख कहानीकार रहे हैं। जनवादी लेखक संघ के संस्थापक सदस्य होने के साथ-साथ वे उसकी केंद्रीय कार्यकारिणी तथा राष्ट्रीय सचिव मंडल के सदस्य भी रहे हैं। साहित्य-रचना, साहित्यिक आंदोलन और लेखक-संगठन के साथ-साथ उन्होंने अंग्रेजी, गुजराती और पंजाबी से महत्त्वपूर्ण कृतियों के अनुवाद भी किये हैं। युग-परिबोधऔर कथननामक श्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिकाओं के साथ-साथ उन्होंने आज के सवालनामक पुस्तक शृंखला की 35 पुस्तकों का तथा हिंदी विश्वज्ञान संहितानामक विश्वकोश के प्रथम खंड का संपादन भी किया है। साहित्य में भूमंडलीय यथार्थवादकी नयी अवधारणा को अस्तित्व में लाने एवं विकसित करने का श्रेय भी उन्हें प्राप्त है। अनेक सम्मानों तथा पुरस्कारों से नवाजे गये रमेश उपाध्याय एक दशक तक पत्रकार रहने के बाद तीन दशकों तक दिल्ली
विश्वविद्यालय में हिंदी के एसोसिएट प्रोफेसर रहे हैं। 2004 में सेवानिवृत्त होकर अब पूर्णतः स्वतंत्र लेखन करते हैं।


जन्म की तारीख : 1 मार्च, 1942
जन्मस्थान : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एटा जिले में बढ़ारी बैस नामक गाँव।
पारिवारिक परिचय:
माता : श्रीमती विद्यावती शर्मा
पिता : श्री श्रीराम शर्मा
पत्नी : श्रीमती सुधा उपाध्याय
पुत्रियाँ : प्रज्ञा और संज्ञा उपाध्याय पुत्र : अंकित उपाध्याय
शिक्षा : एम.ए. (राजस्थान विश्वविद्यालय), पीएच.डी. (दिल्ली विश्वविद्यालय)
भाषाज्ञान : हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गुजराती और पंजाबी
प्रकाशित कृतियाँ : 
कहानी संग्रह : जमी हुई झील (1969), शेष इतिहास (1973), नदी के साथ (1976), चतुर्दिक (1980), बदलाव से पहले (1981), पैदल अँधेरे में (1981), राष्ट्रीय राजमार्ग (1984), किसी देश के किसी शहर में (1987, नवीन संस्करण 2015), कहाँ हो प्यारेलाल! (1991), चर्चित कहानियाँ (1995), अर्थतंत्र तथा अन्य कहानियाँ (1996), दस प्रतिनिधि कहानियाँ (2003), डॉक्यूड्रामा तथा अन्य कहानियाँ (2006), एक घर की डायरी (2009), साथ चलता शहर (2012), त्रासदी...माइ फुट! (2013), पुराने जूतों की जोड़ी (2015), कहीं जमीन नहीं (2016)
उपन्यास : चक्रबद्ध (1967), दंडद्वीप (1970, पुनर्लिखित नवीन संस्करण 2009), स्वप्नजीवी (1971), हरे फूल की खुशबू (1991)
नाटक : सफाई चालू है (1974), पेपरवेट (1981), बच्चों की अदालत (1981), भारत-भाग्य-विधाता (1990), हाथी डोले गाम-गाम (2009)
नुक्कड़ नाटक : गिरगिट, हरिजन-दहन, राजा की रसोई, हिंसा परमो धर्मः, ब्रह्म का स्वाँग, समर-यात्रा, मधुआ, तमाशा
आलोचना : कम्युनिस्ट नैतिकता (1974), हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकार (1996), आज का पूँजीवाद और उसका उत्तर-आधुनिकतावाद (1999), कहानी की समाजशास्त्रीय समीक्षा (1999)
साहित्यिक इतिहास : जनवादी कहानी: पृष्ठभूमि से पुनर्विचार तक (2000)
साक्षात्कार : बेहतर दुनिया की तलाश में (2007)
निबंध : साहित्य और भूमंडलीय यथार्थ (2008), भूमंडलीय यथार्थवाद की पृष्ठभूमि (2014)
विनिबंध : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की 'भारतीय साहित्य के निर्माता' नामक शृंखला में भीष्म साहनी पर विनिबंध (20 15)
आत्मकथात्मक एवं साहित्यिक विमर्श : मेरा मुझ में कुछ नहीं (2013)
अनुवाद (अंग्रेजी से) : जनता का नया साहित्य (1983), कला की जरूरत (1990), उत्पीड़ितों का शिक्षाशास्त्र (1996), सुभाष चंद्र बोस: एक जीवनी (1998)
अनुवाद (गुजराती से) : सोनल छाया (1968), कंचुकीबंध (1969), गुजराती कहानियाँ (1975), धूपछाँह (1976), समकालीन गुजराती कहानियाँ (1995)
आज के सवालपुस्तक शृंखला के अंतर्गत संपादित पुस्तकें : सामाजिक न्याय की अवधारणा (2002), नयेपन की अवधारणा (2002), यूटोपिया की जरूरत (2002), आशा के स्रोतों की तलाश (2002), विकल्प की अवधारणा (2002), जीवन की गुणवत्ता (2004), सृजनशीलता (2004), श्रम का भूमंडलीकरण (2004), आज का स्त्री आंदोलन (2004), परिवार में जनतंत्र (2004), उत्पीड़ितों का मानाधिकार (2006), जन और जनतंत्र (2006), विज्ञान और वैज्ञानिकता (2006), संस्कृति और व्यावसायिकता (2006), सांस्कृतिक साम्राज्यवाद (2006), भाषा और भूमंडलीकरण (2008), जन-जागरण की जरूरत (2008), आज के समय में प्रेम (2008), माता-पिता और बच्चे (2008), शिक्षा और भूमंडलीकरण (2008), दुनिया की बहुध्रुवीयता (2010), बाजारवाद और नयी सृजनशीलता (2010), उत्पादक श्रम और आवारा पूँजी (2010), वर्तमान संकट और दुनिया का भविष्य (2010), बाजारवाद का विकल्प (2010), भूमंडलीकरण और भारतीय सिनेमा (2012), पूँजीवादी प्रपंच में प्रकृति और पर्यावरण (2012), स्त्री सशक्तीकरण की राजनीति (2012), हिंदी कहानी में नये आंदोलन की जरूरत (2012), मीडिया और जनतत्र (2012), इतिहास और भूमंडलीकरण (2013), परिवर्तन का परिप्रेक्ष्य और संभावना (2013), जीवन-शैली को बदलने के सवाल (2013), पूँजीवादी विकास और पर्यावरण आंदोलन (2013), विवाह की संस्था में बदलाव की जरूरत (2013)
नाटकों और नुक्कड़-नाटकों के हिंदी के अतिरिक्त कई अन्य भाषाओं में अनेक मंचन तथा आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारण। सफाइयाँऔर लाइ लोकहानियों पर बनी टेलीफिल्में दूरदर्शन से प्रसारित और आप जानते हैंकहानी का नाट्य रूपांतर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा मंचित। कई रचनाएँ अंग्रेजी, पोलिश, जर्मन आदि विदेशी भाषाओं तथा पंजाबी, गुजराती, राजस्थानी, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड, मलयालम आदि भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर प्रकाशित।
सम्मान व पुरस्कार : केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा द्वारा हिंदी पत्रकारिता तथा रचनात्मक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार; उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा नदी के साथऔर हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा किसी देश के किसी शहर मेंतथा डॉक्यूड्रामा तथा अन्य कहानियाँ’ (तीनों कहानी संग्रह) पुरस्कृत, ‘कथनके संपादन के लिए वनमाली साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान।
संपर्क का पता : 107, साक्षरा अपार्टमेंट्स, ए-3, पश्चिम विहार, नयी दिल्ली-110063
टेलीफोन/मोबाइल नम्बर : 01125268341, 09818244708
     ई-मेल : behtarduniya@gmail.com



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