इब्राहीम शरीफ़ |
संक्षिप्त परिचय : इब्राहीम शरीफ़ 'नई कहानी' के मूर्धन्य सर्जक, साथ ही साथ
'समान्तर कहानी', 'यथार्थ बोधात्मक कहानी' के प्रणेता के रूप में
मान्यता प्राप्त हैं। छोटी महत्वहीन-सी लगने वाली घटनाओं को लेकर संवेदनात्मक
रूप से कहानियों का सृजन किया है। कहा जाता है कि इन की कहानियों की विषयवस्तु स्वयं का भोगा हुआ यथार्थ है और देखी
हुई दुनिया है।
40 वर्ष से भी कम उम्र में असामयिक निधन।
40 वर्ष से भी कम उम्र में असामयिक निधन।
जन्म की तारीख : 27 दिसंबर 1937
जन्मस्थान : नंदलूर, जिला कड़पा, आँध्र
प्रदेश
पारिवारिक परिचय:
माता : रहमत बी
पिता : इमाम शरीफ
पत्नी : इकबाल शरीफ़
संतान : पुत्र : सुहास
शरीफ़, राहुल
शरीफ
शिक्षा : शिक्षण कला प्रवीण : केंद्रीय
हिन्दी संस्थान,आगरा
प्रभाकर : पंजाब
विश्वविद्यालय
बी.ए.
: विश्वभारती शंतिनिकेतन
एम.ए. : हंसराज
कालेज, नई
दिल्ली
पीएच.डी. : आगरा .... ‘दक्खिनी हिन्दी के लोक गीत’
प्रकाशित कृतियाँ : कहानी
संग्रह— 1. कई सूरजों के बीच (1972) नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली 2.
जमीन का आखिरी टुकडा (1973), विद्या
प्रकाश मंदिर प्रकाशन,नई
दिल्ली, 3. आखिरी टुकडा
उपन्यास 1. अंधेरे के साथ (1972) ऋषभचरण
जैन एंड संस,
नई दिल्ली
2. अंधेरे का सिलसिला
3. अधूरे अधबने मकान
संपादन : 1. हिन्दी
विश्वज्ञान संहिता भाग-1.2 एवं 3 (हिन्दी विकास समिति, नई दिल्ली)
2..‘अरविंद’ पत्रिका केरल
अध्यापन : सर
सय्यद अहमद कालेज के हिदी आचार्य
सम्मान व पुरस्कार : 1.कई सूरजों के बीच" कहानी संग्रह
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत
2. अखिलभारतीय कहानी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
निधन :
27 अप्रैल 1977
परिवार से संपर्क का पता : मुहम्मद हनीफ़, सचिव, इब्राहीम शरीफ़ हिन्दी साहित्य परिषद, नंदलूर-516150, जिला कडपा आं.प्र.
मोबाइल : 9492409968
शरीफ़ जी का असामयिक निधन बहुत ही अल्प अवस्था में हुआ है, अगर वे कुछ और समय के लिये होते तो हिन्दी कहानी साहित्य की दशा कुछ और होती, उनके सह कहानीकारों का कहना है कि "समाँतर कहानी आँदोलन" की योजना शरीफ़ जी ने ही बनायी थी,रमेश उपाध्याय,मधुकर सिंह, जितेंद्र भाटिया,सुधा अरोरा, मधुकर गंगाधर, सतीश जमाली,कमलेश्वर,कामतानाथ,श्रवण कुमार,अब्दुल बिस्मिल्लाह इनके सहयात्री थे, बस बाकी का सब इतिहास है, मुझे याद है 1965 से 1975 का दौर था उस ज़माने में इब्राहीम शरीफ़ जी की कहानियाँ,लेख,समीक्षाएँ सारिका, धर्मयुग, कहानी, नई कहानी, नईदुनियाँ जैसी शीर्षस्त पत्रिकाओं में धूम मचादी थी. शरीफ़ जी की कहानी "जमीन का आखिरी टुकड़ा" सारिका में प्रकाशित होने के बाद डाँ.हिमाँशु जोशी जी ने "श्रेष्ठ समाँतर कहानियाँ ” में एवं स्वयं प्रकाश जी ने "श्रेष्ठ हिन्दी कहानियाँ 1970-1980 " में छापी थी, "कहानी : इन्सानी सोच के समांतर और विपरीत" जैसा लेख मैंने कभी नहीं पडा, नाही पढ पाऊंगा ... शरीफ जी जैसे अनमोल रत्न का साहित्य प्रकाश में लाना चाहिये. बाशा मोहियुद्दीन सेवानिवृत्त प्रथम श्रेणि हिंदी पंडित
जवाब देंहटाएं