शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

डॉ॰ मीनाक्षी स्वामी


डॉ. मीनाक्षी स्वामी
जन्म की तारीख : 27 जुलाई
जन्मस्थान : जयपुर-राजस्थान.
पारिवारिक परिचय:
माता - श्रीमती शीला स्वामी
पिता - श्री सुदर्शनाचार्य स्वामी
शिक्षा - एम.ए. समाजशास्त्रपीएच.डी.- मुस्लिम महिलाओं की बदलती हुई स्थिति पर।
भाषाज्ञान - हिंदी, मालवी, अंग्रेजी
प्रकाशित कृतियां -
उपन्यास - भूभल (पुरस्कृत), नतोहम् (पुरस्कृत)
कहानी संग्रह - अच्छा हुआ मुझे शकील से प्यार नहीं हुआ
स्त्री विमर्श - कटघरे में पीड़ित (पुरस्कृत), अस्मिता की अग्निपरीक्षा
सामाजिक विमर्श -भारत में संवैधानिक समन्वय और व्यावहारिक विघटन (पुरस्कृत), सामाजिक चेतना और विकास के परिप्रेक्ष्य में पुलिस की भूमिका का उद्भव (पुरस्कृत), पुलिस और समाज (पुरस्कृत), मानवाधिकार संरक्षण एवं पुलिस
किशोर साहित्य-लालाजी ने पकड़े कान (किशोर उपन्यास), व्यक्तित्व विकास और योग (पुरस्कृत)
बाल साहित्य- बीज का सफर (पुरस्कृत), चौरंगी पतंग, बूंद-बूंद से सागर, पाली का घोड़ा, पीतल का पतीला, क्यों...?
नवसाक्षर साहित्य- किसी से न कहना, काम का बंटवारा, मुसकान, घर लौट चलो, सांझ सबेरा, जरा सम्हल के, हम किसी से कम नहीं, नीलोफर का दुख, यह है बुरी बीमारी, राखी का हक, निश्चय (पुरस्कृत), सुबह का भूला (पुरस्कृत), साहसी कमला (पुरस्कृत), गोपीनाथ की भूल (पुरस्कृत), साहब नहीं आए (पुरस्कृत), हरियाली के सपने (पुरस्कृत), छोटी-छोटी बातें (पुरस्कृत), नादानी(पुरस्कृत), शिकायत की चिट्ठी (पुरस्कृत), बहूरानी (पुरस्कृत), बापू की यात्रा (पुरस्कृत)
नाटक-सच्चा उपहार
सम्मान व पुरस्कार :
केन्द्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा फिल्म स्क्रिप्ट पर राष्ट्रीय पुरस्कार,
केन्द्रीय गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पं. गोविन्दवल्लभ पंत पुरस्कार,
सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार,
संसदीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पं. मोतीलाल नेहरू पुरस्कार,
विधानसभा सचिवालय, मध्यप्रदेश द्वारा डॉ. भीमराव आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार,
उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा नवसाक्षर साहित्य लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार,
आकाशवाणी महानिदेशालय, नई दिल्ली द्वारा रेडियो रूपक पर राष्ट्रीय पुरस्कार,
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंघान व प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) व चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट, दिल्ली द्वारा बाल साहित्य का राष्ट्रीय पुरस्कार,
मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कहानी पर राष्ट्रीय पुरस्कार,
मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्वर्ण जयंती कहानी पुरस्कार,
महामहिम राज्यपाल मध्यप्रदेश द्वारा उत्कृष्ट लेखकीय योगदान के लिए सम्मानि
सहस्त्राब्दि विश्व हिंदी सम्मेलन में उत्कृष्ट रचनात्मक योगदान हेतु सम्मानित.
अखिल भारतीय विद्वत् परिषद, वाराणसी द्वारा उपन्यास "भूभल" पर कादम्बरी पुरस्कार.
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा उपन्यास "भूभल" पर बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार.
उपन्यास "नतोहम्" पर मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय वीरसिंह देव पुरस्कार।
अन्य
कई रचनाओं का अंग्रेजी व भारतीय भाषाओं में अनुवाद; गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में कहानी "धरती की डिबिया में" एम.ए. के पाठ्यक्रम में शामिल।
संपर्क : सी. एच.78  एच.आय.जी. , दीनदयाल नगर, सुखलिया, इंदौर- 452010 मध्यप्रदेश
email - minakshiswami@hotmail.com , meenaksheeswami@gmail.com

7 टिप्‍पणियां:

  1. आज तक यह समझ सका कि कुछ महिला रचनाकार अपना जन्म वर्ष क्यों छुपाती हैं. मीनाक्षी गोस्वामी ने भी नहीं दिया तो आज तुम्हारी इस साइट के माध्यम से जान लेना चाहा.

    कुछ पुरुष लेखक भी किसी कुंठावश ऎसा करते हैं.

    रूपसिंह चन्देल

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस वास्तविकता से तो आप परिचित हैं ही चन्देल जी कि इस ब्लॉग को पत्र-पत्रिकाओं,साहित्यिक मित्रों और शोधार्थियों के उपयोग के लिए सन्दर्भ ग्रंथ के तौर पर बनाया जा रहा है। इस तथ्य पर मेरा ध्यान वस्तुत: आज ही जा पाया कि अपने प्रारूप में हमने लेखक से(असावधानीवश ही सही)उसके जन्म की तारीख ही माँगी है, उसके साथ जन्मवर्ष की माँग नहीं की है। अब, विशेषत: कोई महिला रचनाकार अगर अपने जन्म के वर्ष को सार्वजनिक नहीं करना चाहतीं तो यह उनकी अपनी इच्छा है जिसे असहमत होकर भी हम नकार नहीं सकते। आप और मैं ये सब परिचय एकत्र करते और संपादित करते हुए यह भी लगातार देख रहे हैं कि लिखने-पढ़ने से जुड़े होने के बावजूद ज्यादातर प्रेषक प्रारूप को ध्यान से पढ़ ही नहीं रहे हैं जिसके कारण अनेक परिचय अपूर्ण ही प्रकाशित करने पड़े हैं और अनेक अभी भी अप्रकाशित हैं।

      हटाएं
  2. किसी रचनाकार के परिचय में उसकी कृतियां , पुरस्‍कार और अन्‍य क्रियाकलापों की चर्चा की जा सकती है .. उससे संबंध रखने वाले देश , राज्‍य , क्षेत्र और परिवार की भी .. पर मुझे नहीं लगता कि उसकी उम्र जानना किसी के लिए इतना महत्‍वपूर्ण है .. उपलब्धियों के लिए मीनाक्षी स्‍वामी जी को बधाई और शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  3. संगीता पुरी जी, अन्तत: तो रचनाकार देश, राज्य, क्षेत्र की सीमाएँ भी लाँघ जाता है। महत्वपूर्ण रह जाती है केवल रचना। बवजूद इस सब के हमें यह भी पढ़ाया जाता रहा है कि महादेवी जी का विवाह कितनी कम उम्र में हो गया था और यह भी कि अपने पति से उनका विछोह हो गया था तत्पश्चात आजीवन वे एकाकी ही रहीं। यही बात प्रेमचंद के प्रथम विवाह बारे में भी पढ़ाई जाती है। इन सब बातों को जानना भी क्यों जरूरी है? मैं यह नहीं कहता कि 'हिन्दी लेखक' पर जन्मवर्ष देना अनिवार्य है, लेकिन मैं इस बात से सहमत नहीं कि साहित्यकार की उम्र जानना महत्वपूर्ण नहीं है। चन्देल जी ने ऊपर 'कुण्ठा' शब्द का प्रयोग किया है। यह कुण्ठा अनेक तरह से अनेक रचनाकारों के परिचय में देखने को मिल रही है, किसी में कुछ तो किसी में कुछ। कोई कुछ छिपाए रखना चाहता है तो कोई कुछ। यहाँ तक कि कई रचनाकार चार-चार प्रिंटेड पृष्ठों में अपना परिचय भेज देते हैं जिन्हें संपादित करना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है, फिर भी हम करते हैं। लेकिन हमारा उद्देश्य जन्मवर्ष देने न देने या किसी अन्य बहस में पड़ना नहीं है। जो रचनाकर अपना परिचय जितना देना चाहें, दें। हमारा उद्देश्य उनके परिचय को एक मंच प्रदान करना है और वह हम करते रहेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  4. बलराम अग्रवाल जी- आपका कहना सही मानता हूँ, आपकी साहित्य की दुनिया अलग है उसमें क्या घट रहा है और क्या बढ रहा है उसे साहित्यकार ही जानें। ब्लॉग की दुनिया में सिर्फ़ ब्लॉगर ही हैं। वे ब्लॉग पर अपनी बात कहते हैं तथा उनका पाठक वर्ग भी है। वे साहित्यकार होने का भ्रम नहीं पालते तथा ये भी नहीं जानते कि उन्हे महादेवी वर्मा या प्रेमचंद के जैसे पाठयक्रम में पढाया जाएगा इसलिए नेट पर पुरी जन्म कुंडली उपलब्ध कराना आवश्यक है।

    कुछ लोग नेट पर अपनी सम्पूर्ण जानकारी सुरक्षगत कारणों से उपलब्ध नहीं कराते। उनके प्रोफ़ाईल का दुरुपयोग भी हो सकता है। दुरुपयोग होने के कई मामले सामने आए हैं। विगत चार वर्षों से ब्लाग लेखन कर रहा हूँ। यहां मैने बहुत कुछ देखा है।

    रुप सिंह चंदेल जी क्यों किसी की महिला या पुरुष की उम्र जानना चाहते हैं? जिस "कुंठा" शब्द का उपयोग वे कर रहे हैं। उसे मै सही नहीं मानता। किसी महिला रचनाकार का अपनी उम्र छुपाना उसका निजी निर्णय है। यह जानने की कुंठा मुझे उनके भीतर दिखाई दे रही है।

    अस्तु, आपका साहित्यकरों से परिचय कराने का कार्य श्रेष्ठ है उसके लिए शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. अग्रवाल जी
    जन्मवर्ष पर इतनी बहस कि कुंठित लोग उसे न बताने को कुंठा मान लें। जब आपने पूछा नहीं है तो बताना जरुरी भी नहीं है।
    खैर...आपको या कुंठा को परिभाषित करने वाले तथाकथित महान मनोविश्लेषक महोदय का ध्यान इस तथ्य पर भी तो जाना था कि लेखक की आजीविका के बारे में जानकारी होना जरुरी है। जबकि आपने ऐसी कोई जानकारी नहीं चाही है। मैं अपना सरनेम भी कभी प्रयोग में नहीं लाती ।मेरी जाति व जन्मवर्ष का मेरे लेखन से क्या लेना देना है?
    राजश्री

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. राजश्री जी, असलियत तो यह है कि हमने पूछा है। आपने आज तक जितने भी आवेदन फार्म भरे हैं, याद कीजिए कि उनमें से कितने हैं जिनमें 'डेट ऑफ बर्थ' कॉलम को आपने बिना जन्मवर्ष बताए सिर्फ़ तारीख और माह के साथ भरा है या आगे भरेंगी, सिवा अपनी किसी पुस्तक के बैक कवर पर दिए परिचय के। लेखन से जिनकी 'आजीविका' चलती है, हिन्दी में ऐसे भाग्यशाली पोरों पर हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार--लेखन व्यवसाय नहीं, विलास है। (विलास को यहाँ रूढ़ अर्थों में न लें।)वस्तुत: तो रचनाकार स्वान्त: सुखाय ही रचता है। यह अलग बात है कि किस लेखक का 'अंत:' कितना 'व्यापक' या कितना 'संकुचित' है। भले ही हमारे नाम में सरनेम जुड़ा है, लेकिन आप यकीन मानिए कि जाति-व्यवस्था में हमारा यकीन नहीं है। आप प्रशंसा की पात्र है कि शुरू से ही चौकस रही और अपना सरनेम नहीं लिखतीं। कितने ही लेखक तो अपने मूलनाम का भी प्रयोग नहीं करते लेकिन जाति से चिपके रहते हैं, चिंतन के स्तर पर हम अपने-आप को उनसे बेहतर स्थिति में पाते हैं। अस्तु।

      हटाएं