डॉ.(सुश्री) शरद सिंह |
जन्म की तारीख : 29 नवम्बर 1963
जन्मस्थान : पन्ना, मध्यप्रदेश
शिक्षा– एम.ए. (मध्यकालीन भारतीय
इतिहास), बी.एड. पीएच.डी.
भाषाज्ञान – हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दूपारिवारिक परिचय:
माता- डॉ. विद्यावती ‘मालविका’
पिता- स्व. रामधारी सिंह
अग्रजा- डॉ. वर्षा सिंह
प्रकाशित कृतियाँ
:
उपन्यास-पिछले पन्ने की औरतें ( बेडि़या
समाज की महिलाओं पर केन्द्रित), पचकौड़ी (स्त्रीविमर्श, सामाजिक एवं राजनीतिक विमर्श पर केन्द्रित), कस्बाई सिमोन (लिव इन रिलेशन
एवं स्त्री विमर्श पर केन्द्रित) कहानी संग्रह-बाबा
फ़रीद अब नहीं आते, तीली-तीली
आग, छिपी हुई औरत और अन्य कहानियां स्त्री-विमर्श पर पुस्तकें-पत्तों में क़ैद औरतें, डॉ.
अम्बेडकर का स्त्रीविमर्श इतिहास पर पुस्तकें-खजुराहो की मूर्तिकला के सौंदर्यात्मक
तत्व, प्राचीन भारत का सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास विज्ञान एवं पर्यावरण पर पुस्तकें-न्यायालयिक विज्ञान
की नई चुनौतियां, सस्ता एवं सुरक्षित ऊर्जा स्रोत: सौर तापीय ऊर्जा नाटक संग्रह-आधी दुनिया-पूरी धूप (महिला सशक्तिकरण पर
केन्द्रित), गदर की चिनगारियां (1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली महिलाओं पर
केन्द्रित) धर्म एवं दर्शन
संबंधी पुस्तकें-महामती प्राणनाथ:एक युगान्तकारी व्यक्तित्व, श्रेष्ठ जैन
कथाएं, श्रेष्ठ सिख कथाएं भारत के आदिवासी जीवन पर पुस्तकें-भारत के आदिवासी क्षेत्रों
की लोककथाएं मध्यप्रदेश
के आदिवासी जीवन पर पुस्तकें-आदिवासियों का संसार, आदिवासियों के देवी-देवता,
आदिवासी गहने और वेशभूषा, आदिवासी परम्परा, कोंदा मारो सींगा मारो (कहानी संग्रह),
मणजी भील (कहानी संग्रह), बुद्धिमान वेत्स्या (कहानी संग्रह), आदिवासी लोककथाएं (कहानी
संग्रह), शहीद देभोबाई (कहानी संग्रह), शहीद उदय किरार (कहानी संग्रह) नवसाक्षरों के लिए कथा-साहित्य
पुस्तकें-बधाई की चिट्ठी, बधाई दी चिट्ठी (पंजाबी में अनूदित), बेटी-बेटा
एक समान, महिलाओं को तीन जरूरी सलाह, मां का दूध, फूल खिलने से पहले, दयाबाई, मुझे
जीने दो, मां !, औरत के कानूनी अधिकार,
अपना सहारा, जुम्मन मियां की घोड़ी (रूपांतरण), काव्य संग्रह-पतझड़ में भीग रही लड़की (ग़ज़ल संग्रह),
आंसू बूंद चुए (नवगीत संग्रह), कर्णप्रिया का आत्मकथ्य (खण्ड काव्य)
अन्य भाषाओं
में अनुवाद- कहानियों का पंजाबी, उर्दू, उडि़या, मराठी एवं मलयालम में अनुवाद, गिल्ला हनेरा (पंजाबी में अनूदित
कहानी संग्रह), राख तरे के अंगरा (क्षेत्रीय बोली बुन्देली में कहानी संग्रह)
प्रसारण- टेलीफिल्म्स एवं
डाक्यूमेंट्रीज़-
यही है जि़न्दगी/बीवी ब्यूटी
क्वीन/गोदना/नारे सुअटा और; मामुलिया/शैलाश्रयों के भित्तिचित्र/खजुराहो की मूर्तिकला/गर्ल्स
एन.सी.सी./व्यक्तित्व: प्रो. डब्ल्यू. डी. वेस्ट/देउरकोठार के बौद्ध स्तूप/संत प्राणनाथ
और प्रणामी संप्रदाय/आयुर्वेद: एक जीवन शैली
रेडियो धारावाहिक-आधी दुनिया पूरी धूप/गदर
की चिंगारियां/1857- बुन्देलखण्ड की क्रांतिभूमि के महायोद्धा/मियां बीवी और शांताबाई/फैमिली नं. (यूनीसेफ
हेतु)/स्वास्थ्य जागरूकता (यूनीसेफ हेतु)/बुन्देलखण्ड/अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो...../सुभद्रा
कुमारी चौहान की कहानियों का धारावाहिक नाट्यरूपांतरण-आदि कई धारावाहिक।
सम्मान व पुरस्कार
:
- संस्कृति विभाग, भारत सरकार का ‘गोविन्द वल्लभ पंत पुरस्कार -2000’ ‘न्यायालयिक विज्ञान की नई चुनौतियां’ पुस्तक के लिए।
- ‘श्रीमंत सेठ भगवानदास जैन स्मृति सम्मान’ हिन्दी साहित्य में विशेष योगदान के लिए।
- ‘परिधि सम्मान’ हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए।
- ‘सृजन सम्मान’ हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए।
- ‘अंबिकाप्रसाद दिव्य रजत अलंकरण-2000’ कहानी संग्रह ‘तीली-तीली आग’ के लिए
- ‘कस्तूरी देवी चतुर्वेदी लोकभाषा लेखिका सम्मान -2004’ बुन्देली साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए।
- ‘मां प्रभादेवी सम्मान’ हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए।
- ‘पं. रामानंद तिवारी स्मृति प्रतिष्ठा सम्मान’ हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए।
- ‘जौहरी सम्मान’ स्त्री विमर्श की पुस्तक ‘पत्तों में क़ैद औरतें’ के लिए।
- ‘नई धारा सम्मान’ - कथालेखन के लिए।
- ‘लीडिंग लेडी ऑफ मध्यप्रदेश’ सम्मान सामाजिक कार्यों एवं हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए।
संपर्क : एम-111, शांतिविहार, रजाखेड़ी, सागर (मध्यप्रदेश)-470004
टेलीफोन : 07582 230088
ई-मेल –
sharadsingh_1@yahoo.com
Hardik Aabhaar Balram Agarwal ji.....
जवाब देंहटाएंvery nice kewal ek shabd aapke liye..adbhut...aapka saurabh upadhyay
जवाब देंहटाएंबहुमुखी प्रतिभा की धनी शरद सिंह जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। प्रभु इनका मार्ग प्रशस्त करें! ये दिन-ब-दिन और भी सुंदर रचती जाएँ और खूब यश पाएँ!
जवाब देंहटाएंपढ़ती हूँ शरद जी को नियमित रूप से...
जवाब देंहटाएंआभार इस विस्तृत परिचय के लिए.
शुभकामनाएं शरद जी को.
सादर
अनु
बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंFrom whom had you got inspiration to write Shreshtha Jain Kathaein?
जवाब देंहटाएंशरद जी वाक़ई बहुत क़ाबिल और रहमदिल लेखिका हैं. उनकी इतनी उपलब्धियां देखकर मन हर्षित है.
जवाब देंहटाएंअल्लाह उन्हें और शोहरत दे.
मैडम, हंस पत्रिका और कादम्बिनी पत्रिका में आप की कहानी देखा था, समयभाव और कोर्ट के चक्कर के कारण यह सब छुट गया हैं |
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम शरद जी,
जवाब देंहटाएंकुतुहलवश आपकी किताब 'पिछले पन्ने की औरतें' पढने के लिए ली जिसने मुझे बांधे रखा। काम की व्यस्तता के बावजूद लगातार पांच एक दिनों में पढकर पूरा किया और लगा कि केवल पढकर नजरअंदाज करें ? अन्याय होगा खुद की आत्मा के साथ, लेखिका के साथ और बेडनियों के साथ औरत का भी। एक लंबा आलेख लिखा 'स्थयित्व हेतु सम्मान दांव पर लगाती 'पिछले पन्ने की औरतें' । सोचा कि आपको भी सूचित करूं। खोजपरख उपन्यासों के लिए यह किताब नया आयाम देगी। ऐसे उपन्यास बहुत कम लिखे गए हैं और जो लिखे हैं उनमें मनोरंजनात्मक पूट भर दिया है परंतु आपकी किताब बिल्कुल वास्तविकता को दिखती है। हिंदी साहित्य में इस किताब का नाम गर्व से लिया जाएगा।अभिनंदन।
आलेख प्रकाशित होते ही आपको सूचित करूंगा। लिखते रहें।
डॉ.विजय शिंदे
देवगिरी महाविद्यालय, औरंगाबाद.
फोन 09423222808
ई-मेल drvtshinde@gmail.com