गुरुवार, 12 जुलाई 2012

प्रो॰ (डॉ॰) महेंद्र भटनागर



प्रो॰ (डॉ॰) महेंद्र भटनागर
जन्म-तिथि : 26 जून 1926
जन्म-स्थान : झाँसी [उत्तर-प्रदेश]
परिवार :
माता : श्रीमती गोपालदेवी
पिता : श्री रघुनन्दनलाल जी
पत्नी : श्रीमती सुधारानी
पुत्र : अजय कुमार, आलोक कुमार, आदित्य कुमार
शिक्षा : एम॰ ए॰, पीएच॰ डी॰
भाषा-ज्ञान : हिंदी, अँगरेज़ी




प्रकाशित कृतियाँ :
 'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा' [2009]
खंड : 1
1 तारों के गीत  2 विहान 3 अन्तराल 4 अभियान  5 बदलता युग 6 टूटती शृंखलाएँ
 खंड : 2
 7 नयी चेतना 8 मधुरिमा  9 जिजीविषा  10 संतरण  11 संवर्त
 खंड : 3
 12 संकल्प  13 जूझते हुए  14 जीने के लिए  15 आहत युग 16 अनुभूत-क्षण  17 मृत्यु-बोध : जीवन-बोध  18 राग-संवेदन
¤
प्रतिनिधि काव्य-संकलन
1  कविश्री: महेंद्रभटनागर (संयोजक: शिवमंगलसिंह 'सुमन') 2  गीतक्रम (प्रतिनिधि गेय गीत) 3  सब कुछ पीछे छूट गया (नवगीत सृष्टि) 4  सरोकार और सृजन: (जनसंवेदना-जनचेतना से सम्बद्ध प्रतिनिधि कविताएँ) 5  जनकवि महेंद्रभटनागर (समाजार्थिक चेतना से सम्बद्ध) 6  प्रगतिशील कवि महेंद्रभटनागर (समाजार्थिक चेतना से सम्बद्ध) 7  जीवन-राग (जीवन-दर्शन से सम्बद्ध / द्वि-भाषिक : हिंदी-अंग्रेज़ी) 8  चाँद, मेरे प्यार! (प्रेम-कविताएँ / द्वि-भाषिक : हिंदी-अंग्रेज़ी) 9  इंद्रधनुष / गौरैया एवं अन्य कविताएँ (प्रकृति-प्रेमकी कविताएँ / द्वि-भाषिक : हिंदी-अंग्रेज़ी) 10 मृत्यु और जीवन (द्वि-भाषिक: हिंदी-अंग्रेज़ी) 11 प्रतिनिधि कविताएँ: महेंद्रभटनागर 12 आधुनिक कवि: महेंद्रभटनागर
महेंद्रभटनागर - समग्र [2002]
खंड: 1 - कविता
तारों के गीत, विहान, अन्तराल, अभियान, बदलता युग। परिशिष्ट: आत्म-कथ्य - जीवन और कर्तृत्व,
अध्ययन-सामग्री एवं अन्य संदर्भ।
खंड: 2 - कविता
टूटती शृंखलाएँ, नयी चेतना, मधुरिमा, जिजीविषा, संतरण।
 खंड: 3 - कविता
संवर्त, संकल्प, जूझते हुए, जीने के लिए, आहत युग, अनुभूत क्षण। परिशिष्ट: काव्य-कृतियों की भूमिकाएँ।
 खंड: 4 - आलोचना
हिन्दी कथा-साहित्य, हिन्दी-नाटक।  परिशिष्ट: साक्षात्कार।
 खंड: 5 - आलोचना
साहित्य-रूपों का सैद्धान्तिक विवेचन एवं उनका ऐतिहासिक क्रम-विकास, आधुनिक काव्य।  परिशिष्ट: साक्षात्कार, आदि।
 खंड: 6 - विविध
साक्षात्कार, रेखाचित्र / लघुकथाएँ, एकांकी / रेडियो-फ़ीचर, गद्य-काव्य, वार्ताएँ, आलेख, बाल / किशोर साहित्य / संस्मरणिका / पत्रावली।  परिशिष्ट: चित्रावली।
 खंड: 7 - शोध
समस्यामूलक उपन्यासकार प्रेमचंद, प्रेमचंद के कथा-पात्र।
सह-लेखन 
हिन्दी साहित्य कोश (भाग - 1 / द्वितीय संस्करण / ज्ञानमंडल, वाराणसी), तुलनात्मक साहित्य विश्वकोश - सिद्धान्त और अनुप्रयोग (खंड -1 / महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा)
सम्पादन
'सन्ध्या' (मासिक / उज्जैन 1948-49), 'प्रतिकल्पा' (त्रैमासिक / उज्जैन 1958)
सम्मान / पुरस्कार
(क) 'कला-परिषद्' मध्य-भारत सरकार ने 1952 में। (ख) 'मध्य-प्रदेश शासन साहित्य परिषद्', भोपाल ने 1958 और 1960 में। (ग) 'मध्य-भारत हिन्दी साहित्य सभा', ग्वालियर ने 1979 (घ) 'मध्य-प्रदेश साहित्य परिषद्', भोपाल ने 1985 में। (च) 'ग्वालियर साहित्य अकादमी' द्वारा अलंकरण-सम्मान, 2004 (छ) 'मध्य-प्रदेश लेखक संघ', भोपाल ने 2006 में। () हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग / जगन्नाथपुरी अधिवेशन 2010 में सर्वोच्च सम्मान 'साहित्यवाचस्पति
सम्पर्क : 110 बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर-474 002 [. प्र.]
फ़ोन : 0751-4092908 

1 टिप्पणी:

  1. कोई साठ साल की अवधि में रचे गए अपने समग्र साहित्य को व्यस्थित कर उसका पुनर्प्रकाशन साहित्यकार के लिए कष्टसाध्य जरूर है लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण और पाठकीय दृष्टि से लाभकारी है. रांगेय राघव की तरह महेंद्र भटनागर ने भी बहुत मात्रा में लिखा है. सर्जना प्रतिभा के वे धनी हैं और अभी भी बहुत कुछ लिख पाने की ऊर्जा उनमें शेष है. अब तक जो लिखा उसे व्यवस्थित और संकलित कर लेने के बाद अपना सर्वश्रेष्ठ देने हेतु एकाग्र हो जाएँ . शुभकामनाएँ.
    वारीन्द्र कुमार वर्मा

    जवाब देंहटाएं