कथाकार चित्रा मुद्गल |
जन्म : 10 सितम्बर 1944 को चेन्नई में। मगर बचपन और कैशोर्य
अवस्था का अधिकांश समय मुंबई में बीता। बेसिक तथा विश्वविद्यालयीन शिक्षा भी मुंबई
में हुई।
पैतृक घर : उन्नाव (उ॰प्र॰) के गाँव निराली
खेड़ा में।
माता : (श्रीमती) विमला देवी ठाकुर (निधन: 30 जनवरी 2009)
पिता : ठाकुर प्रताप सिंह (निधन: 1975)
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा मुंबई, फिर गाँव, पुनः मुंबई में। एम॰ ए॰, फाइन आर्ट का बेसिक पाठ्यक्रम। गुरु सुधा
होरास्वामी से भरत नाट्यम की शिक्षा।
विवाह: 17 फरवरी 1965 को प्रखर
कथाकार-कवि-पत्रकार श्री अवधनारायण मुद्गल से।
प्रकाशित कृतियाँ :
14 कहानी संग्रह, 4 उपन्यास, 7 बालकथा संग्रह, 3 बाल उपन्यास, 3 नाटक, 7 संपादित पुस्तकें, वैचारिक आलेखों के 2 संकलन। कुल बयालीस किताबो में से प्रमुख कथा संकलन लाक्षाग्रह, आपनी वापसी, दुल्हिन, जिनावर, जगदम्बा
बाबु गाँव आ रहें है, लपटें, इस
हमाम में, ग्यारह लम्बी कहानियां, केंचुल, चेहरे आदि है |
उपन्यास ‘आवां’ आठ भाषाओं में अनूदित तथा देश के 6 प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत। उपन्यास गिलिगडु, एक ज़मीन अपनी तथा क्रूसेड (crusade) पंजाबी, मलयालम, कन्नड़, मराठी आदि में अनूदित-चर्चित। ‘गिलिगडु’ और ‘आवां’ का विदेशी भाषाओँ का अनुवाद जारी है। कथात्मक रिपोर्ताज ‘तहखानो में बंद अक्स’ इन दिनों चर्चित | प्रेमचंद की 21 श्रेष्ठ कहानियो का 3 खंडो में नाट्य-रूपांतर जिसके नाटक पूरे देश में मंचित हो रहें है | बाल उपन्यास जीवक, मनिमेखल्ये और माधवीकन्नगी बाल पाठकों व बालसाहित्य के आलोचकों द्वारा प्रशंसित | बोधि प्रकाशन से प्रकाशित "पार्टी" (2011) का स्वागत | 3 खंडों में समग्र कथाएँ—‘आदि-अनादि’ कथा संकलन में। इसमें 1964 में प्रकाशित पहली कहानी “सफेद सेनारा" से लेकर 2007 तक की कहानियाँ संकलित हैं |
उपन्यास ‘आवां’ आठ भाषाओं में अनूदित तथा देश के 6 प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत। उपन्यास गिलिगडु, एक ज़मीन अपनी तथा क्रूसेड (crusade) पंजाबी, मलयालम, कन्नड़, मराठी आदि में अनूदित-चर्चित। ‘गिलिगडु’ और ‘आवां’ का विदेशी भाषाओँ का अनुवाद जारी है। कथात्मक रिपोर्ताज ‘तहखानो में बंद अक्स’ इन दिनों चर्चित | प्रेमचंद की 21 श्रेष्ठ कहानियो का 3 खंडो में नाट्य-रूपांतर जिसके नाटक पूरे देश में मंचित हो रहें है | बाल उपन्यास जीवक, मनिमेखल्ये और माधवीकन्नगी बाल पाठकों व बालसाहित्य के आलोचकों द्वारा प्रशंसित | बोधि प्रकाशन से प्रकाशित "पार्टी" (2011) का स्वागत | 3 खंडों में समग्र कथाएँ—‘आदि-अनादि’ कथा संकलन में। इसमें 1964 में प्रकाशित पहली कहानी “सफेद सेनारा" से लेकर 2007 तक की कहानियाँ संकलित हैं |
अन्य : 1॰ गरीब, पीड़ित और शोषित महिलाओं के हितों की रक्षा
करने वाली संस्था ‘जागरण’ की 1965 से 1972 तक सक्रिय सदस्य
रहीं।
2॰ मुंबई की एक मजदूर यूनियन, कामगार आघाही की भी सक्रिय कार्यकर्ता
रहीं।
3॰ सन् 1979 से 1983 तक महिलाओं को
स्वावलंबन का पाठ पढ़ानेवाली संस्था ‘स्वाधार’ की सक्रिय कार्यकर्ता रहीं।
4॰ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं
प्रशिक्षण परिषद की ‘वूमेन स्टडीज़ यूनिट’ की कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तक योजनाओं जैसे दहेज-दावानल, बेगम हज़रत महल, स्त्री समता आदि में 1986 से 1990 तक
5॰ 2003 में तेरहवां व्यास सम्मान पाने वाली देश की
प्रथम लेखिका
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